हर लम्हा खुलकर जी लो!
हर लम्हा खुलकर जी लो!
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खिड़की के बाहर
शांत-से पानी को देखना
अच्छा लगता है
सूखे पहाड़ पर
थोड़ी-सी हरियाली देखना
अच्छा लगता है
बड़े होने पर भी
किसी अच्छे दोस्त के साथ
छोटे बच्चों जैसे लड़ाई करना
अच्छा लगता है
ख़ुशनुमा दिनों की यादों
में डूब जाना
अच्छा लगता है
सफलता प्राप्त होने
की खुशी मनाना
अच्छा लगता है
असफल होने पर
किसी अपनों का
हौसला मिलना
अच्छा लगता है
और मुस्कुराने की
वजह ढूँढना भी
अच्छा लगता है
क्योंकि जीवन तो मिला है
हम सबको मात्र एक
किंतु करने है हमें
कार्य अनेक
यदि भूल जाए
सारे अच्छे लम्हे, खुश रहना
और बुरे लम्हों में ही बीते
जीवन का दिन प्रत्येक
तो समाप्त हो जाए
हमारे संपूर्ण जीवन का विवेक।
इसलिए
हर लम्हा इतनी खुशी और
मज़े से जीओ
जैसे कोई कल हो ही न।