हर कर्तव्य मां का...।
हर कर्तव्य मां का...।
जन्म से लेकर देखभाल तक,
बच्चों से लेकर उनके बच्चों तक,
उनको पढ़ाने संभालने का जिम्मा सिर्फ मां का,
क्यों मां ही लोरी सुनाकर सुलाएं?
क्यों कभी पिता बच्चों को लाड़ नहीं लड़ाता?
क्या सिर्फ बच्चों को बड़ा करना मां का दायित्व है,
क्या पिता की कोई जिम्मेदारी नहीं?
माना मां का दायित्व है पर पिता का भी कर्तव्य है,
बच्चों को समय देना कुछ समय उनके पास बैठना,
उनका होमवर्क कराना उनसे कुछ पूछना,
उनको अपने साथ बैठाकर अपने बचपन की बातें बताना,
तभी बच्चे,
माता-पिता का उनके प्रति प्यार दुलार को समझेंगे
और उनकी हमारे प्रति जिम्मेदारी को देख,
खुद भी उस जैसा बनने की कोशिश करेंगे,
और अच्छे माहौल में बड़े होकर उज्ज्वल भविष्य बनाएंगे,
इसलिए याद रखो,
माता-पिता वो गाड़ी के दो पहलू हैं,
जो साथ साथ दे बच्चों को ज्ञान और समय,
तो बच्चों में संस्कार का बीज बो सकते हैं,
पर सारी जिम्मेदारी सौंप मां पर,
क्यों अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते है?
क्यों बच्चों को कहने पर मजबूर करते हो?
कि कहां थे हमारे पापा उस समय,
जब उनकी हमें जरूरत थी?
कहां थे तब हमारे पापा,
जब हम उनके पास बैठने का इंतजार करते थे?
कहां थे तब पापा,
जब उनसे अपनी परेशानी को बांटना चाहते थे?