STORYMIRROR

Pushp Lata Sharma

Abstract

4  

Pushp Lata Sharma

Abstract

होली

होली

1 min
275

छन्न पकैया छन्न पकैया, जंगल में है होली ।

हाथी, घोड़ा, चले जेबरा, लिए रंग की झोली।


छन्न पकैया छन्न पकैया, बंदर बैठा ऊपर 

रंग बिरंगे गुब्बारे वह, फेंक रहा है सबपर 


छन्न पकैया छन्न पकैया,गज को मस्ती छाई 

भाँग पी गया सब भालू का, कहता नाचो भाई 


छन्न पकैया छन्न पकैया, भालू छम -छम ठुमके 

ढोल बजाये बंदर ढम -ढम, मयुरा संग संग तुनके 


छन्न पकैया छन्न पकैया, देख ख़ुशी की बेला  

भांग घोट कर झूम रहा था , राजा शेर अकेला 


छन्न पकैया छन्न पकैया, ढेरों सजी मिठाई 

एक -एक कर चुपके -चुपके, चतुर लोमड़ी खाई   


छन्न पकैया छन्न पकैया, रंगो की पिचकारी 

मार रहे हैं जंगल में सब, मित्रों बारी -बारी 


छन्न पकैया छन्न पकैया, करे न कोई दंगा 

होली खेले सरी में डूबे, किया हृदय को चंगा  

  

छन्न पकैया छन्न पकैया, मन का भेद मिटाये 

जंगलवासी एक हमेशा, कहकर गले लगाये।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract