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Sudhir Srivastava

Abstract Comedy Tragedy

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Sudhir Srivastava

Abstract Comedy Tragedy

होली की मुबारकबाद

होली की मुबारकबाद

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होली से इतना पहले 

हमारा रंग अबीर गुलाल उड़ाना

योगी बाबा को इतना अखर गया

कि बिना भंग पिये ही 

बाबा का पारा इतना हाई हो गया,

कि वे फुल एक्शन मोड में आ गए,

ऐसा लगा बाबा जेम्स बॉन्ड के अवतार में आ गए।


न सोचा न समझा, सबको स्टैचू कर दिया

बाबा का रौद्र रूप देखकर भी

आपका तो पता नहीं

हमारी तो कुछ समझ में नहीं आया

पर बुलडोजर का शिष्य धर्म जाग गया

बिना कुछ कहे ही उसने जैसे 

बाबा के मन की बात अच्छे से समझ लिया

और अपने रौद्र रूप के साथ मैदान में आ गया।


विपक्ष भौचक हो सोचने लगा

मधुमक्खी के छत्ते में नाहक पत्थर उछाल दिया।

हमने तो होली करीब है सोचकर

आरोपों का थोड़ा सा अबीर गुलाल भर उड़ाया था

हमें क्या पता था ?

होली पूर्व बाबा को ये सब न भायेगा,

बाबा के आत्मसम्मान को इतना ठेस पहुंचायेगा

कि बाबा का प्रिय बुलडोजर 

पूरें रंग में नजर आएगा,

इस तरह जमकर अबीर गुलाल उड़ायेगा।


आप सब भी मेरा पक्ष सुन लो,

अब तो अगले दस बीस साल

बाबा का ये रुप मुझे हमेशा याद रहेगा, 

अच्छे से सुन समझ लो

होली के नाम से ही मेरा हांड कांप जायेगा

होली मिलन में भी बाबा को रंग गुलाल 

मुझसे तो न लगाया जायेगा।


अब आप लोग आपस में विचार कर लो

बाबा को रंग अबीर कौन लगायेगा,

और अपनी शामत बुलाएगा।

आप सब की तरफ से मेरी अपील 

मोदी शाह नड्डा जी आपसे है

बाबा को आप सब ही रंग अबीर गुलाल मल दो

हमारी और से भी होली की मुबारकबाद दे दो।


हम कहीं और जाकर होली मनाएंगे

माफियाओं संग होली खेलेंगे

गुझिया पापड़ मिठाई खायेंगे

जाम से जाम टकरायेंगे

ज्यादा नहीं बस दो चार पैग से ही काम चलायेंगे

उनके गालों पर अबीर गुलाल का मरहम लगायेंगे

गले लगकर अपनी बेबसी सुनायेंगे

कसम है होली की, बाबा को रंग अब कभी न लगाएंगे,

उनकी चौखट पर माथा टेक वापस आ जायेंगे।


अपने त्योहारों में होली भी होती है

सदा के लिए भूल जायेंगे,

योगी से पंगा लेकर हम होली कभी नहीं मनायेंगे।

होली है भाई होली है बुरा न मानो होली 

अब किसी से न कह पायेंगे,

रंग अबीर गुलाल से दूर ही रहेंगे

होली की मुबारकबाद 

आपको भी अब कभी न दे पायेंगे। 


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