STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Abstract

3  

VIVEK ROUSHAN

Abstract

हँसता बहुत हूँ

हँसता बहुत हूँ

1 min
233

हँसता बहुत हूँ रोता नहीं हूँ मैं

रात भर चैन से सोता नहीं हूँ मैं


जिसने मुझे देखा कम ही देखा

मैं बहुत हूँ थोड़ा नहीं हूँ मैं


मैं तो दरिया हूँ बहुत गहरा हूँ

बढ़ता ही जाता हूँ घटता नहीं हूँ मैं 


तुम पास आते मुझे छू कर देखते

मैं फूल हूँ कोई काँटा नहीं हूँ मैं


तुमने क्या सोचा मैं टूट जाऊँगा

अकेला हूँ जानाँ तन्हा नहीं हूँ मैं



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract