हँसी आता हैं खुद पर
हँसी आता हैं खुद पर
हँसी आती है खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती है मुझे खुद पर
पता है, यह काम बेवकूफ़ी का है
फिर भी जानबुझ कर वही बेवकूफ़ी, वही गलतियाँ बार -बार दोहराते हैं
पता हैं, कहने से पहले दो बार सोच लेना चाहिए
फिर भी मन में जो आती हैं, वो कर ही डालते हैं
हँसी आती है, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की एग्जाम क़रीब है
फिर भी हम किताबें खोल अपना कविता लिख रहे हैं
पता हैं की बिना सोच समझ के कुछ नहीं कहना हैं
फिर भी जो दिल में आता है, वो कह डालते हैं
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की दिल और दिमाग़ दोनों एक साथ ले कर चलना चाहिए
फिर भी हम दिमाग़ की कम और दिल की ज्यादा सुनते हैं
पता हैं की अपने पराये बोल के भी कोई बात होती हैं
फिर भी सबसे मैं इतना जल्दी क्यूँ कनेक्ट हो जाती हूँ ?
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की सबके पास दुनिया भर का सारा ज्ञान नहीं होता हैं
फिर भी मुझे डर लगता हैं की कोई क्वेश्चन ना पूछ ले
पता हैं की हमें दुनिया का 1% से भी कम ज्ञान हैं
क्यूँकि दुनिया में कितने सारे राज़ छुपे हैं, जिससे हम अनजान हैं
फिर भी हम खुद से एक्सपेक्ट करते हैं की सारा ज्ञान हो हमारे पास
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
मैं खुद का वक़्त, खुद ही बर्बाद करती हूँ
फिर एग्जाम हॉल में बैठ खुद के गलतियों के लिए पछताती हूँ
कभी कभी खुद पे गुस्सा भी आती हैं
पर फिर भी 'चलता हैं 'कहकर सब छोड़ देती हूँ
खुद को ही मैं अजीब लगती हूँ ।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की सारे कण्ट्रोल अपने हाथ में हैं
फिर भी हम भाग्य का दोष दे देते हैं
पता हैं की कामयाबी अपने मेहनत , अपने निर्णय और अपने हाथ में हैं
फिर भी कभी कभी इसे अनजान बन हम भाग्य का दोष दे देते हैं
हँसी आती हैं, मुझे खुद के पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की सब कुछ समय के साथ साथ बदलता है
फिर भी हम सबको वैसे ही मान लेते हैं
पता हैं की यह बेवकूफ़ी हैं
फिर भी हज़ार बार एक ही ग़लती को बार बार दोहराते हैं
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की कोई परेशानियाँ बड़ी नहीं होती हैं, हमारा सोच में गड़बड़ है
अगर खुद के नज़रिया को मैं बदल लूँ, तो दुनिया को बदलने का कोई ज़रूरत नहीं
फिर भी हम खुद ही अपने आप को फँसाते चले जाते हैं
पता हैं की मैं ही प्रॉब्लम हूँ और शल्यूशन भी मैं हूँ
फिर भी बाहर प्रॉब्लम का शल्यूशन ढूंढ़ती हूँ
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
हँसी आती हैं खुद पर
हाँ, सच में हँसी आती हैं मुझे खुद पर
पता हैं की सारे उत्तर मेरे ही अंदर छुपे हैं
फिर भी बाहर अपने परेशानियों का हल ढूंढ़ती फिरती हूँ
पता हैं की एक दिन हम सबको दुनिया छोड़ कर जाना हैं
फिर भी क्यूँ एक ही बात को पकड़ कर बैठती हूँ ?
क्यूँ हर बात को सीरियसली अपने दिल पर ले लेती हूँ ?
हँसी आती हैं, मुझे खुद पर।
