ख़ैर .. रहा होगा गड़बड़ कुछ पूर्व का कर्म ! भोगना तो पड़ेगा... कौन आना है अब यहाँ , दुबारा लेकर के जन... ख़ैर .. रहा होगा गड़बड़ कुछ पूर्व का कर्म ! भोगना तो पड़ेगा... कौन आना है अब यहाँ...
न बनना हमें तेरा तारा, बस लौट आये शाम तक। न बनना हमें तेरा तारा, बस लौट आये शाम तक।
पता हैं की सब कुछ समय के साथ साथ बदलता है फिर भी हम सबको वैसे ही मान लेते हैं पता हैं की सब कुछ समय के साथ साथ बदलता है फिर भी हम सबको वैसे ही मान लेते हैं