ज़िन्दगी मेरी खोखा है !
ज़िन्दगी मेरी खोखा है !
दुनिया धोखा है ..
जो ज़िन्दगी आज मेरी खोखा है ।
देख ली मैनें महज इन चालीस-बयालिस सालों में
हर नेक कामों में दुनिया ने हमको टोका है ।।
अब सच का जमाना ही नहीं
बड़े करीब से हमनें देखा है ।
हर इंसान मिनिस्टर है यहाँ
बातों का सिर्फ राजनेता है ।।
शौक़ सभी के यही
कैसे ढकेलें इसे , काम अपना बनें ।
कहीं मार ना ले ये बाज़ी
ख़ुद के सिर-पर बस सेहरा बंधे ।।
ख़ैर ..
रहा होगा गड़बड़ कुछ पूर्व का कर्म !
भोगना तो पड़ेगा...
कौन आना है अब यहाँ , दुबारा लेकर के जन्म !
कुछ ना कर सका मैं
ऐ दुनिया तेरे लिए..
माफ़ करना मुझे , जिंदगी खोखा है मेरी..!
