Rajeshwar Mandal

Abstract

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Rajeshwar Mandal

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हमनफस

हमनफस

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महज़ विरोधी था मेरा पर शत्रु न था

हर बात पर असहमत था पर शत्रु न था


कितने दफे आंखें तरेरी पर शत्रु न था

अंततः छोड़ दिया साथ पर शत्रु न था


गुलदस्ते  में  खंजर निकला  उनके 

जिन्हें हम हमनफस मान बैठे थे। 


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