हमदम
हमदम
उनकी पलकों में मेरे ख्वाब सज रहे हैं
यह बात और है वो इनकार कर रहे हैं।
उनके सजदे में जज़्बात बिखर रहे हैं
वो नजरें मिलाकर झुकाकर कर रहे हैं।
घायल अपनी मुस्कान से कर रहे हैं
दूर जाने से उनके अब हम डर रहे हैं।
नजदीक हम तुम इतने हुए जा रहे हैं
हर पल अब तेरे दरम्यान गुजर रहे हैं।
प्यासी निगाहों से मनुहार कर रहे हैं
नैनों में बसा लो हम मिन्नतें कर रहे हैं।

