गृहणी
गृहणी
गृहिणी का कभी इतवार नहीं होता
यह और बात है किसी को एतबार नहीं होता ।
बना लेती एक रात पहले सूची कल की
यह बात और है यह सिलसिला खत्म नहीं होता ।
आंखें मलती छोड़ देती है गर्म बिस्तर को
यह बात और है मन दुखों से सर्द नहीं होता ।
जिम्मेदारी के चक्र में घिरी रहती है उम्र भर
यह बात और है सांसों का चक्र इसी में छूट जाता ।
सांस अटकी रहती है उम्र भर घर परिवार में
यह बात और है उसके बारे में कोई नहीं सोचता ।
