हमारी पहली मुलाकात
हमारी पहली मुलाकात
हमारी पहली मुलाकात ही कुछ खास थी,
वो बिन शरमाये मिली मुझे
मानो वहीं से मेरे इश्क़ की शुरुआत थी।
साँसे भी बेकरार थी, दिल भी बेहाल था,
मिलने की चाहत में तुझसे ,दिमाग भी बेहाल था।
कुछ यूँ दरमियां साथ में बैठी थी तुम कि
इश्क़ मेरा मेरे से ज्यादा तुम्हारे साथ था।
उस दिन होठों पर हँसी से ज्यादा दिल ज्यादा ख़ुशहाल था,
कमबख्त मेरी उम्र तुम्हारे बिना कट गई ,उस बात से में ज्यादा नाराज था।
उस दिन किस्मत ही ज्यादा ख़ुशनसीब थी मेरी
बिन मांगे मिली वो पूजा हर हाल में मेरे साथ थी।
उसके मिलने से ही जिंदगी मुकम्मल हुई है मेरी
खुशियों सी महक अब और ज्यादा चमक सी गयी है मेरी।
मेरा और उसका रिश्ता ही कुछ गहरा है
जैसे चांद और तारो का एक साथ चमकना है।
बस इतना कह दूं तुम्हें, मेरी सांस हो तुम,
बिन तुम्हारे अधूरा सा हुँ, और साथ तुम्हारे पूरा हूँ मैं।