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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Romance Fantasy

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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Romance Fantasy

हम समझ में आ जाएंगे

हम समझ में आ जाएंगे

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छुपे हुए थे जो अब तक तुझसे,

हर राज़ तुम्हे वो बता जाएंगे...

ज़रा तसल्ली से हमें पढ़कर देखो,

हम समझ में आ जाएंगे....


पन्नों को ज़रा पलटना तुम,

हर पन्ना तुम्हे बतलाएगा...

जो बात अधूरी रह गई थी,

वो अल्फाजों में समझाएगा...

ज़रा एक कदम बढ़ा कर देखो,

हम दौड़ कर तुम तक आ जाएंगे...

ज़रा तसल्ली से हमें पढ़कर देखो,

हम समझ में आ जाएंगे....


अधूरा सा है हर बात मेरा,

हर मुलाकात हमारी अधूरी सी है...

कहने को तो सब कह दू तुझसे,

पर जान मेरी मजबूरी सी है...

तुम दिल के दरवाज़े तो खोलकर देखो,

हम दिल में तुम्हारे समा जाएंगे...

ज़रा तसल्ली से हमें पढ़कर देखो,

हम समझ में आ जाएंगे...


छुपे हुए है जो अब तक तुमसे,

हर राज़ हम तुम्हे बता जाएंगे...

ज़रा तसल्ली से हमें पढ़कर देखो,

हम समझ में आ जाएंगे...


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