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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Abstract Romance Inspirational

हम रूठ जाएंगे

हम रूठ जाएंगे

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राह देखते हैं तुम जल्दी आ जाओ,

इंतजार नहीं होता बेचैन रहते हैं

 बर्दाश्त नहीं होती अब कोई दूरी,


 हम रूठ जाएंगे हम सच में कहते हैं

चोरी चोरी ताकते हैं, चौराहे पर आकर

आने वाली बस के, पास में हम जाकर


 ऐसा लगता है ,तुम बस से उतरोगे

 हमको देखोगे, बाहों में भर लोगे

 लेकिन तेरी परछाई, भी नहीं दिखती है

तुम नहीं दिखते हो, दुनिया दिखती है


घर लौट जाते हैं, बेसुध से रहते हैं

क्यों इश्क में पढ़कर, यह दुनिया मिटती है

फिर ऐसा लगता है, यह कोई सपना था

सब बेगाने थे, नहीं कोई अपना था


 लेकिन तुमको ना कोई इस का फर्क पड़ेगा,

 तुम आ नहीं सकते हो तुम इतना कह दोगे

 इश्क की बीमारी तुमको क्यों नहीं लगती है,

 तुम बरसों की जुदाई खुद कैसे सह लोगे।


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