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Satyawati Maurya

Inspirational

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Satyawati Maurya

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हम नहीं कातर

हम नहीं कातर

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गली-गली में मानो अब तो रावणों का बसेरा है,

किस पर करें विश्वास, जाने कौन अस्मत का लुटेरा है !


न उम्र की सीमा है , न रिश्ते की मर्यादा देखी,

बेटी, बहन, माँ, भाभी, स्त्री हर रूप में तो लूटी।


तुमने तो स्त्री बस देह भर ही देखी,

अमीर हो या के ग़रीब, देखा न रूप, न धर्म

तुम्हें कब नज़र आया लुटती सीता का मर्म।


लम्पट, वहशी, अस्मत का लुटेरा घूमता है निर्द्वन्द्व,

क्यों दे सीता अग्निपरीक्षा, अपना सर्वस्व लुटा कर,

अब तुमको अग्निपरीक्षा, न न करना होगा अग्निस्नान।


आज नहीं सीता बेचारी, जीती सर उठा कर,

वहशी पुरुषों तुम दो अग्निपरीक्षा, हम नहीं कातर।


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