हम दोनों जुदा-जुदा
हम दोनों जुदा-जुदा
हम दोनों हैं जुदा-जुदा ,फिर भी एक अंजाना बंधन।
मैं जीवननद की माटी प्रिये, तुम मेरी सांसों का स्पन्दन। (धड़कन)
जिस से सुरभित हो तन-मन, बन जाता है नन्दन वन।
प्रेम समर्पित बगिया में भी, कभी-कभी आ जाता स्कन्दन।(जमाव)
सोच विचारों में हम दोनों पूरब पश्चिम से लगते हैं ।
पर जीवन लक्ष्य को पाने में, पथिक एक राह के हो जाते हैं
मानो एक स्नेहासिक्त बाती, बुझते दिये को रोशन कर जाती है ।
कभी तुम होते गरम, तो मैं बहरी बन जाती ।
कभी भड़कती मैं ,तो तुम जल फुहार बरसाते ।
शोला शबनम सा यह रिश्ता चलता जाता है आहिस्ता आहिस्ता ।
लड़ते-भिड़ते, हंसते- रोते ,इस जीवन गीत को गाते ।
एक दिन ऐसा भी आएगा परिंदे (बच्चे) नीड़ में अपने उड़ जाएंगे ।
एक बार फिर से हम दोनों, एक दूजे का हाथ थामने को रह जाएंगे ।
हम दोनों हैं जुदा- जुदा फिर भी एक अंजाना बंधन।
धन्यवाद