हिंदुस्तान की हिन्दी
हिंदुस्तान की हिन्दी
मैं हिंदुस्तान की हिन्दी हूँ
मैं सबके हूँ दिल की भाषा,
रखूँ सदा अपनत्व की आशा
चिर पुरातन युगों की हूँ रानी,
मुझसे ही हैं कथा कहानी
सूरदास के नैनों की ज्योति,
मीरा, रसखान के प्रेम की पूर्ति
तुलसी के मैं राम की भक्ति,
वीरों की रचूं ओज और शक्ति
विरह मिलन भी लिखती हूँ मैं,
गौरव गाथा भी गढ़ती हूँ मैं
भारत की तो शान है मुझसे,
चाहूँ बस सम्मान मैं सबसे।