हिंदी
हिंदी
हिंदी हैं मेरी मातृ भाषा
क्यों मैं किसी से राग द्वेष करूँ
हैं सभी से दोस्ती भाई-चारा अपनी
किसी से प्रतिस्पर्धा मैं क्यूँ करूँ
जैसे सात रंगो से मिलकर
इंद्रधनुष का रंग निखरता हैं
वैसे पूरे विश्व में घुमघुम कर
हिंदी का रूप और छवि निखरता है
हैं अनेक भाषा इस दुनिया में
सबकी अपनी अलग पहचान हैं
लेकिन मेरी हिंदी भाषी होने पर&
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हिंदी का भी अपना स्वाभिमान है
माँ की लोरी बन कर नन्हे बालक के
आँखो में प्यारी सी निंदिया लाये
अ से आरम्भ हो ज्ञ तक पहुँच जाये
एक बार पढ़े जो जीवन भर काम आये
जब किसी विदेशी धरती पर
कोई जाने अनजाने से मिलता हूँ
बाते अंग्रेज़ी से होकर खतम हिंदी में होती हैं
तब चेहरे पर ख़ुशियाँ दिवाली जैसी होती हैं!