हिन्दी मेरी देश की आशा
हिन्दी मेरी देश की आशा


जन-जन भाषा हिन्दी भाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।
ब्राही लिपि से है आकारित
संस्कारों से है संस्कारित।
कोटिक हृदयों की तम नाशा
हिन्दी मेरी देश की आशा।।
कोकिल कण्ठों की ये भाषा
जनगणमन की हिन्दी भाषा
संस्कृत माँ की है परिभाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।।
मधुरिम स्वर्णिम सहजा सरला
है नित्य निरंतर गतिशीला
सदियों से सेवारत भाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।।
लोक कथायें नाटक मेले
संगीतों के सुर ताल मिले
अविरल अमल विश्वजनभाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।।
तुलसी-सूर-कबीर की वाणी
शैल-शिखर की है जन वाणी
फूले-फाले यही अभिलाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।
भारत माता की है बिन्दी
सुंदर शीष विराजे हिन्दी
नव-नव तकनीकों की भाषा
हिन्दी मेरी देश की आशा।।