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Sunil Kumar

Abstract

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Sunil Kumar

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हिंदी का महत्व

हिंदी का महत्व

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वार्षिक परीक्षा के दिन करीब थे। लिहाजा कविता अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा रही थी। पिछले कुछ दिनों से कविता ने खेलना-कूदना,टी.वी. देखना और मोबाइल संग समय बिताना बिल्कुल कम कर दिया था। कविता इन दिनों अपना पूरा समय अपनी पढ़ाई में लगा रही थी। उसे पूरा यकीन था कि इस बार परीक्षा में वह जरूर टॉप करेगी। कविता पूरी तन्मयता से परीक्षा की तैयारी में जुटी थी पर उसमें एक कमी थी अपनी मातृभाषा हिंदी को अन्य विषयों से कमतर आंकना।वह अन्य विषयों की तैयारी में तो घंटों समय दे रही थी पर हिंदी की तैयारी पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही थी। उसके दिमाग में एक बात घर कर गई थी कि हिंदी तो हमारी बोलचाल की भाषा है भला इसमें क्या तैयारी करना। शायद वह नहीं जानती थी कि उसकी यही भूल उसका कितना बड़ा नुकस

ान कर देगी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और बोर्ड परीक्षा का समय भी आ गया। कविता पूर्ण मनोयोग से परीक्षा में शामिल हुई। उसे पूरा विश्वास था कि इस बार उसका नाम विद्यालय के टॉप टेन विद्यार्थियों की सूची में अवश्य शामिल होगा।लेकिन जब परीक्षा परिणाम आया तो रिजल्ट देख कर कविता के होश उड़ गए।परीक्षा के अन्य विषयों में अस्सी प्रतिशत से भी अधिक अंक प्राप्त करने वाली कविता अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रश्न पत्र में मात्र पासिंग मार्क अंक ही प्राप्त कर सकी। विद्यालय के टॉप टेन विद्यार्थियों की सूची में शामिल होने का उसका सपना धरा का धरा ही रह गया।वह शोक के गहरे सागर में डूब गई और सोचने लगी काश मैंने अपनी मातृभाषा के महत्व को समझा होता तो आज टॉप टेन विद्यार्थियों की सूची में अवश्य शामिल होती।


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