हिन्दी गजल- निभाया न करो।
हिन्दी गजल- निभाया न करो।
ख्वाब झूठे मोहब्बत के दिखाया न करो
पाठ इश्के बेवफाई मुझे सिखाया न करो
की है मोहब्बत खेल न समझ लेना तुम
कर झूठे वादे सिर आँखों बिठाया ना करो
आखिरी आरजू है आप मिल जाये मुझे
पास मेरे आओ तन्हा वक्त बिताया न करो
गुनाहगार ऑंखें बिना हथियार वार करती
हूँ मै बेगुनाह नाम मेरा लिखाया ना करो
हुश्न पर्दे की चीज नकाब चहरे ना हटाइये
दिखा हुश्ने जमाल आशिक मिटाया ना करो
बीना तेरे मुझे अब मुस्कुराया भी नहीं जाता
हुआ जो रिश्ता बोझ उसे निभाया ना करो