STORYMIRROR

Ruchika Rai

Abstract

4  

Ruchika Rai

Abstract

प्रेम गागर

प्रेम गागर

1 min
349


प्रेम रूपी गागर से जीवन तर जाय,

नेह रूपी बाती से प्रकाशित हो जाय।


जीवन रूपी समर में हम लड़ते जाय,

प्रेम रूपी गागर से अमृत हम हैं पाय।


प्रेम बिन जीवन लगे कंटक सम,

प्रेम रुपी गागर से जल हम बरसाय।


स्नेह और ममता है जीवन का आधार,

प्रेम रूपी गागर से बरसाए हम प्यार।


दया सहनशीलता बिन कैसे रहे प्यार,

प्रेम रूपी गागर में जीवन दें वार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract