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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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प्रेम गागर

प्रेम गागर

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प्रेम रूपी गागर से जीवन तर जाय,

नेह रूपी बाती से प्रकाशित हो जाय।


जीवन रूपी समर में हम लड़ते जाय,

प्रेम रूपी गागर से अमृत हम हैं पाय।


प्रेम बिन जीवन लगे कंटक सम,

प्रेम रुपी गागर से जल हम बरसाय।


स्नेह और ममता है जीवन का आधार,

प्रेम रूपी गागर से बरसाए हम प्यार।


दया सहनशीलता बिन कैसे रहे प्यार,

प्रेम रूपी गागर में जीवन दें वार।


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