हिंदी प्यारी
हिंदी प्यारी
क्यों है अपने घर में ही तू आज उदास हिंदी,
तेरे भाल पर तो पुरखों ने सजाई प्यारी बिंदी।
तेरे कारण ही तो हिंद देश बन गया हिंदुस्तान,
तेरे लिए सब एक हुए गुजराती हो या सिंधी।।
तू तो है इतनी प्यारी और सबसे मीठी भाषा,
तूने पूरी की हिंद के साहित्यकारों की आशा।
तेरे कारण देश प्रगति पथ पर हुआ अग्रसर,
देश की अपनी भाषा, आने नहीं देती निराशा।
तुलसी, सूर व मीरा, जायसी की तान में थी तू,
मनोरंजन के हर प्रोग्राम में दिखती है तू ही तू।
भक्ति में भी तू और शक्ति में भी है तेरा स्थान,
सीधी, सरल साक्षात सरस्वती का वरदान है तू
अपनी संस्कृति व भाषा को जो ठुकरा रहे हैं,
फिर से पराधीन होने की गलती दुहरा रहे हैं।
अपनी संस्कृति व अपनी बोली में है सम्मान,
इस बात को भूलकर ही तेरा दिल दुखा रहे हैं।
बात जब भी आती है किताबों और ग्रंथों की,
सबसे ज्यादा संख्या में तू ही चहुं ओर दिखती।
तुझे जैसे बोलते वैसे ही तो लिखते भी हैं हम,
लिखने, बोलने में अक्षर की हस्ती नहीं मिटती।
अब हम सब मिलकर तेरी उदासी दूर भगाएंगे,
तू है इस देश की राजभाषा, सबको समझाएंगे।
लोग सीखें चाहे बोलें बोली व भाषा कई प्रकार
सबसे ऊँचा दर्जा देश में फिर से तुझे दिलाएंगे।