हिन्दी दिवस के भाव
हिन्दी दिवस के भाव
वो तो माँ है मेरी, उसपे
क्या क्या लिखूं
शब्द विहीन हो जाती लेखनी
भावपूर्ण हृदय हो जाता,
कैसे अपने भाव रखूं
वो हिन्दी हैं, कहने को एक भाषा है
पर जन्म से लेकर कर्म कर्म तक
नित नित उसके स्वाद चखूं
भाषाओं के मोतियों से भरा
ये भारत देश महान हमारा
विविधताओं से भरे हुए भी
हिन्दी वो सूत्र जो जोड़े देश ये सारा
ऐसी सुन्दर भारती, बोलो
कितने नाम जपूं
कैसे अपने भाव रखूं
रमण करो तुम, भ्रमण करो तुम
चाहे कितने देश घूमे करे जतन
मातृभाषा का सुकून है वैसा
जैसा लौट के घर आओ तो झूमे मन
हर दिन हिन्दी दिवस है मेरा
हर दिन उसके ही नाम जियूं
मेरी मां है वो रूह है मेरी
कैसे अपने भाव रखूं, कैसे
उसपे शब्द लिखूं