हिन्दी भाषा-हमारी पहचान, हमारा स्वाभिमान
हिन्दी भाषा-हमारी पहचान, हमारा स्वाभिमान
रिश्तों की मर्यादा है कहीं, कहीं अपनेपन की है परिभाषा।
माता-पिता का दुलार है कहीं, कहीं भाई-बहन का प्यार है हिन्दी भाषा।।
ज्ञानता का भण्डार है अगर, तो शब्दों का संसार है हिन्दी भाषा।
एहसासों की माला है कभी, कभी मोतियों सी चमकदार है हिन्दी भाषा।।
साहित्य का खजाना छुपा है इसमें, कला के संग भिन्न सा जुड़ाव है हिन्दी भाषा।
बच्चा भी सबसे पहले माँ है बोलता, सरलता का सुखद एहसास है हिन्दी भाषा।।
बोले जाने की सहजता समाई है, संग-संग लिखावट का सार है हिन्दी भाषा।
आजकल के अंग्रेजी चलन में, लोकप्रियता की मिसाल है हिन्दी भाषा।।
माँ करती है प्यार बेझिझक, माँ के असीम प्यार समान है हिन्दी भाषा।
हमारे अस्तित्व की पहचान है हिन्दी, गढ़ने वाली नये कीर्तिमान है हिन्दी भाषा।।
हिन्दी बोलने में शर्म कैसी, माँ शब्द की मिठास है हिन्दी भाषा।
भूख से बिलखता बच्चा जो माँगे, उसी माँ के दूध समान है हिन्दी भाषा।।
घर- घर में है इसका बोलबाला, भारत देश की शान है हिन्दी भाषा।
विभिन्न भाषाओं के देश में, भाषाओं की सम्राज्ञी है हिन्दी भाषा।।
माता समान पूज्नीय है हिन्दी, तभी तो मातृ भाषा कहलाती हिन्दी भाषा।
आओ मिलकर करें सहयोग, आने वाले कल की पहचान हो हिन्दी भाषा।।