STORYMIRROR

Kalpesh Vyas

Abstract

4  

Kalpesh Vyas

Abstract

हेप्पी होली डियर !

हेप्पी होली डियर !

1 min
469

आँखों में थी एक शरारत 

पर सूरत थी उस की भोली 

भिग़ी थी उस की चूनरिया 

हाथों में थी रंग की झोली


गुलाल गाल पर लगा कर 

कानों में धीरे से वो बोली 

"कैसे हो ऑ माय डियर ?

आई विश यू हेप्पी होली" 


वो लाई थी भाँग की गोली 

ठंडाई में उस ने वो घोली 

वो ठंडाई पी कर यूँ लगा 

भर दी अरमानों की झोली


मैं खुद उस का हो लिया 

और वो भी मेरी हो ली

उतने में ही सेंध लगाने 

आई मस्तानों की टोली


"देरी हो गई चलो ऊठो !" 

चिल्लाकर पत्नी बोली 

वो सपना टूट चूका था 

जब मैने आँखें खोली 


फिर मन-हि-मन में रोया

और दहाड़ कर वो रो ली 

बाय-ध-वे मेरी ओर से

आप सब को हेप्पी होली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract