हेप्पी होली डियर !
हेप्पी होली डियर !
आँखों में थी एक शरारत
पर सूरत थी उस की भोली
भिग़ी थी उस की चूनरिया
हाथों में थी रंग की झोली
गुलाल गाल पर लगा कर
कानों में धीरे से वो बोली
"कैसे हो ऑ माय डियर ?
आई विश यू हेप्पी होली"
वो लाई थी भाँग की गोली
ठंडाई में उस ने वो घोली
वो ठंडाई पी कर यूँ लगा
भर दी अरमानों की झोली
मैं खुद उस का हो लिया
और वो भी मेरी हो ली
उतने में ही सेंध लगाने
आई मस्तानों की टोली
"देरी हो गई चलो ऊठो !"
चिल्लाकर पत्नी बोली
वो सपना टूट चूका था
जब मैने आँखें खोली
फिर मन-हि-मन में रोया
और दहाड़ कर वो रो ली
बाय-ध-वे मेरी ओर से
आप सब को हेप्पी होली।
