हे नारी
हे नारी
हे नारी तू कर्मठ बन,
तू रख दया
ममता
शालीनता
सौहार्द्रता
माधुर्यता
पर न रख भोलापन
नारी तू कर्मठ बन,
तू कर त्याग
अपने स्वार्थ का
अभिमान का
धन का
पर न कर त्याग
अपने सम्मान का
नारी तू कर्मठ बन,
हार जाओ
अपनी ज़िद
चाहे अपनों के लिए
पर कभी हार न होने दे
अपने स्वाभिमान का
हे नारी तू कर्मठ बन,
सक्षम बन।
