STORYMIRROR

Roshan Baluni

Abstract Inspirational

3  

Roshan Baluni

Abstract Inspirational

"हे दुर्गा मैया"

"हे दुर्गा मैया"

1 min
215

आदि शक्ति तुम प्रकृति स्वरूपा

सकल जगत की माता रूपा।

तुम ही सीता मात भवानी

तुम जगमाता जन कल्याणी।।


आज धरा पर सुता तिहारी

दानव मध्य फँसी बेचारी।

बनकर काली माँ तुम आओ!

दुष्ट दलन को मार भगाओ।।


कलियुग रावण भी बलशाली

छीनी है सबकी उजियाली।

कहीं निर्भया मारी जाती

कहीं कली सी मसली जाती।।


अपसंस्कृति की है ये आँधी

गाँव-गली में हैं अपराधी।

बिटिया बनकर शांति कहाँ है?

नहीं सुरक्षित बेटी यहाँ हैं।।


निज तनया की लाज बचा लो

नारायणि! तुम खड्ग उठा लो।

हे दुर्गा मैया हर लो पीड़ा

है मन-अंतस विकल अधीरा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract