हे !भारतीय नारी
हे !भारतीय नारी


सादगी पै तेरी कुर्बान जाऊं मैं
दिखता सच्चा सौंदर्य तेरी सादगी में।
तेरे अन्तश की करूणा
दिखती तेरी आंखों में।
सेवा की प्रतिमूर्ति तू
रहती रत बड़ों के चरणों में।
तेरे मुख की मुस्कान
है सच्चा प्रतिमान
तेरे रूप सौन्दर्य का।
तेरे स्वाभिमान का दर्प
बनता तेरे चेहरे की चमक।
निखरता तेरा व्यक्तित्व
गढ़ता तेरा अस्तित्व।
तेरी मृदु मंद हंसी
प्रफुल्लित कर देती
बोझिल वातावरण।
तेरी चूड़ियों की खनक
पायलों की रुनझुन का संगीत
खिला देता मन के तार।
तेरी मांग में जगमगाता
सौभाग्य-सिंदूर
जगाता पावन भाव।
तेरी माथे की लाल बिंदिया
भस्म कर देती निकृष्ट विचार
देखनेवाले के कलुषित मन से
जगमगाये ये सदियों तक।
हे भारतीय नारी !
तेरी सादगी ही तेरा सौंदर्य।
तेरे सद्गुण ही तेरा प्रसाधन।
तेरी पावनता ही तेरा रूप
तू ही अद्भुत बेमिसाल अनूप।
तेरी करूणा में प्रतिबिंबित
तेरा अद्वितीय दिव्य स्वरूप।