हास्यानुकृति - वचन
हास्यानुकृति - वचन
औ प्रिया प्रिया !!!
पल्लवी: ओ सखी सखी - ना सखी सखी ।।२
ये बिल्लियाँ क्यों - जीवन में खतरा
यह दुनिया है, वह समय है - जब प्लास्टिक दानव चला गया है?
यदि आप इसे दिन-प्रतिदिन उपयोग करते हैं -
भयानक प्रदूषण का कारण ओ के सखी .. सखी न सखी .. सखी
हो सखा सखा .... न| सखा सखा .. २
कई गूंगे जीव - आज भी मिलते हैं और मरते हैं
वहां से, मुश्किल रास्ते - बदबू की गंध
वादी वेसी - ओ सा खा .. सखा न साखा साखा
नए नए बैग - रंगीन लेबल : प्रकाश पात्र - जीवन कलम
थकान और लगातार थकान के बाद वजन कम होगा
मैं हर दिन इस समय का उपयोग क्यों करता हूं?
ओ सखी .. सखी न| सखी .. सखी
हवा में नहीं - पानी में नहीं - कीचड़ में कदम से कदम - यही सच्चाई है
कम है कि अपनी पूरी क्षमता के लिए मत जाओ - यह सच है के रूप में उपयोग - या रुकेगा नहीं
रेशा - धागा बागुले वदूदमा न| हे सखा .. सखा न| सखा .. सखा
टिपण्णी : ना = मेरी ;