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jayanth kaweeshwar

Abstract

3.5  

jayanth kaweeshwar

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हास्यानुकृति - वचन

हास्यानुकृति - वचन

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औ प्रिया प्रिया !!! 

पल्लवी: ओ सखी सखी - ना सखी सखी ।।२

ये बिल्लियाँ क्यों - जीवन में खतरा

यह दुनिया है, वह समय है - जब प्लास्टिक दानव चला गया है?

यदि आप इसे दिन-प्रतिदिन उपयोग करते हैं -

भयानक प्रदूषण का कारण ओ के सखी .. सखी न सखी .. सखी

हो सखा सखा .... न| सखा सखा .. २

कई गूंगे जीव - आज भी मिलते हैं और मरते हैं

वहां से, मुश्किल रास्ते - बदबू की गंध

वादी वेसी - ओ सा खा .. सखा न साखा साखा

नए नए बैग - रंगीन लेबल : प्रकाश पात्र - जीवन कलम

थकान और लगातार थकान के बाद वजन कम होगा

मैं हर दिन इस समय का उपयोग क्यों करता हूं? 

ओ सखी .. सखी न| सखी .. सखी

हवा में नहीं - पानी में नहीं - कीचड़ में कदम से कदम - यही सच्चाई है

कम है कि अपनी पूरी क्षमता के लिए मत जाओ - यह सच है के रूप में उपयोग - या रुकेगा नहीं 

रेशा - धागा बागुले वदूदमा न| हे सखा .. सखा न| सखा .. सखा

टिपण्णी : ना = मेरी ;



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