हाँ, मैं नारी हूँ !
हाँ, मैं नारी हूँ !


सब कुछ खुद से ही कह लेती हूँ
सब कुछ मैं चुपचाप ही सह लेती हूँ
इसलिए नहीं कि मैं कमज़ोर हूँ,
इसलिए कि
मैं ही तो सब की डोर हूँ।
बँधे हैं सभी मुझसे
मुझसे ही तो चलता
ये परिवार है
बढ़ता मुझसे ही संसार है।
हाँ, मैं नारी हूँ !
मोम का बना है दिल मेरा
लाख चाह कर भी
दिल पत्थर का नहीं कर पाती हूँ।
पर जब आती है घड़ी मुश्किल की
तो दिल पर पत्थर भी रख लेती हूँ।
माँ बनकर मैं ममता लुटाती हूँ
बन के अर्धांगिनी
साथ जीवन पथ पे निभाती हूँ।
हो रिश्ता कोई भी,
हर रिश्ते में,
मैं अपना सर्वस्व लुटाती हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ !
कर के पूजा मेरी
मुझे आराध्या न बनाओ।
बस मान कर इंसान,
मुझे जीने का हक़ दिलाओ।