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Meera Kannaujiya

Inspirational

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Meera Kannaujiya

Inspirational

हाँ, मैं भी फौजी हूँ !

हाँ, मैं भी फौजी हूँ !

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इरादों में जीत का जुनून है,

हालात कैसे भी हों डट कर खड़े रहने का गुरूर है

फ़तेह की ख़ातिर जो उबाल चाहिए ऐसा खून है।

वर्दी नहीं डाली तो क्या हुआ,

जंग में शेरनी सी हुंकार हूँ,

हाँ, मैं भी फौजी हूँ!


क्या हुआ जो मैंने वाल्टर्स नहीं चलाये,

रॉकेट नहीं जलाया, आर्मफायर नहीं चलाये।

भर के बारूद की स्याही, मिटा के किस्मत की लिखाई,

ख़ुद लिखती हूँ हर नन्हे बीज के भविष्य में देश की रिहाई।

बदल सकती हूँ तख्तों ताज मैं,

ऐसी सत्ताधीश हूँ,

हाँ, मैं भी फौजी हूँ!


रग-रग में भरती हूँ अपने वतन का रंग मैं,

सपना है केवल सीमा पे नहीं,

हर कुन्बे में तैनात हो एक फौजी अपना,

तिनका-तिनका जोड़ के, 

सुन्दर व्यक्तित्व का रंग घोल के,

बनाती हूँ सैनिक अपना।

अपने नन्हे-मुन्हों के परों में ऊँची गरुड़ सी उड़ान लिखती हूँ,

हाँ, मैं भी फौजी हूँ!


नांग सी चतुराई, हारिल सा भोलापन भरती हूँ,

कुछ ऐसी तालीम बख्शती हूँ जैसे हो रेमा(The Word Of GOD),

अपनी छोटी सी बगिया में बन के माली उनसे मैं रोज़ मिलती हूँ।

हाँ, मैं भी फौजी हूँ! इक अव्वल दर्जे की फौजी हूँ!


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