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GAUTAM "रवि"

Abstract Others

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GAUTAM "रवि"

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"हालात"

"हालात"

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पत्थर के हैं लोग यहाँ, जज़्बात नहीं समझेंगे,

मैं जिस हाल में हूँ, वो हालात नहीं समझेंगे,

कितना भी हो अंधकार, हो कितना भी तमस,

अगर जल रहा है 'रवि' तो रात नहीं समझेंगे।। 


करते रहो मन की बातें, तुम यूँ ही दिन रात,

जब तक दिल ना मिलें, वो मुलाक़ात नहीं समझेंगे,

जितना भी करे दिल तुम कर लेना धोखा,

जब तलक पता ना लगे, वो विश्वासघात नहीं समझेंगे।। 


बिछा देना सितारे भी तुम आंचल में उनके,

सजा देना तुम उनकी पलकों पर मोती,

चाहो तो खुद को लुटा देना उन पर,

पर जेब देखे बिना औकात नहीं समझेंगे।।



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