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Aastha thakur

Comedy

4.5  

Aastha thakur

Comedy

हाल- बेहाल

हाल- बेहाल

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236


इस करोना काल में

किसी को

हम पूछ पड़े


कैसे हो भाई ?


सुनते ही मियां 

उठ खड़े 

झल्ला कर कहां-


घर के अंदर

दुबक के पड़े हैं, 


खिड़कियों से ही 

झांकते खड़े हैं 


ज्यादा से ज्यादा 

गैलरी तक दौड़ते 


फिर पीछे मुड़ 

पलंग पर, आ

आह छोड़ते हैं


समाचार देख लो तो

फिर क्या कहना 


बिना कुछ किए ही

निकलता है पसीना 


 घड़ी भर में जी घबराता है

 गला सुख -सुख जाता है


फिर कुछ 

ऐसे बौखला जाते हैं

घर में भी 

मास्क लगा 

चक्कर काटते जाते हैं ,

और अपनों को ही

 संदेह की नजर से 

ताकते जाते हैं।

 

सेनीटाइजर लगा -लगा कर 

हाथ मलते जाते हैं,


और गंभीर होकर 

ये सोचते हैं 

कि यह वक्त भी 

गुजर जायेगा 


अंधेरा 

एक ना एक दिन

छट जाएगा,


लोग एक दूसरे के 

गले मिलेंगे

फिर से वह

 सुनहरा वक्त 

लौट आएगा

तब तक

इसी में आनंद ढूंढते हैं 

घर में ही कसरत कर 

जीवन को सुखमय करते हैं।



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