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Shakuntla Agarwal

Abstract Romance

4.3  

Shakuntla Agarwal

Abstract Romance

"गज़ल"

"गज़ल"

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क्यों सोचते हो,

खत जलाकर,

प्यार भुला दिया,

ये वो लफ्ज़ हैं,

पेशानी पर उभर आयेंगे,


ये जो मोहब्बत है,

दिलों के सौदे हैं,

पैसों में न तोलो,

पलड़े कम पड़ जायेंगे,


मैंने मोहब्बत की है, 

कोई खेल नहीं,

दिलों के रिश्तें हैं,

दिलों के संग चले जायेंगे,


दिलों के जज़्बात,

दिलों में ही फना रहने दो,

लबों पे जो आये,

अफ़साने बन जायेंगे,


आँखों के अश्क़,

आँखों में ही रहने दो,

उमड़ पड़े तो,

समुन्द्र भी कम पड़ जायेंगे,


इतनी सी इल्तज़ा है,

तुझसे मेरे रकीब,

मय्यत पर आँसू न बहाना,

चुनरी पर दाग लग जायेंगे,


गुज़रे जनाज़ा तेरी गलियों से,

जब मेरे रकीब,

नक़ाब मत हटाना,

"शकुन" वर्ना लोग समझ जायेंगे।


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