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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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गुरु

गुरु

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गुरु है ब्रम्हा, गुरु है विष्णु, गुरु ही है महेश्वर।

गुरु दिव्य प्रकाश पुंज, गुरु है ज्ञान के सागर।


गुरु पथ प्रदर्शक, शिष्यों के सच्चे सलाहकार।

माता पिता से बढ़कर, देते हमको स्नेह अपार।


देते कला को सुंदर आकर, गुरु होते शिल्पकार।

गीली माटी से घड़े बनाता, जैसे कोई कुम्भकार।


गुरु ज्ञान की मूरत होते, गुरु का धर्म परोपकार।

शत शत नमन गुरु को, गुरु होते हैं तारणहार।


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