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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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गुरु का चिंतन।

गुरु का चिंतन।

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प्रभु सुमिर के दया करे न क्या इंसान कहलाएगा।

माला जप के अमल करे न फिर पीछे पछतायेगा।।


ओ! इंसान का जीवन पाकर क्या इंसान को जाना है,

भूखे, नंगे तड़प रहे लोगों को क्या उनको पहचाना है।

जब तक तेरा अहम न टूटे पशुवत ही कहलाएगा।।


यह जीवन है कठपुतली जैसा वही नाच नचाएगा,

मोहब्बत करना सीख ले बंदे गैरों से भी प्यार पाएगा।

चंद दिनों का जीवन तेरा फिर मौका हाथ न आएगा।।


अंतर्मन में झांक कर देखो खुदा नजर तुझे आएगा,

बुरे-भले का भाव तब होगा सुख समृद्धि पाएगा।

मन ही तेरा साथी बनेगा दया करना सिखलाएगा।।


बिन गुरु कृपा सब है निष्फल निष्फल है त्याग तेरा,

शरणागत की लाज वो रखते जीवन होगा सफल तेरा।

"नीरज" कर ले "गुरु का चिंतन" भव-रोग मुक्त हो जाएगा।।


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