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गुजरा जमाना

गुजरा जमाना

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ए सपने तुम रोज ही आना

सपने में तुम उनसे मिलाना।

छूट गई जो सखा सहेली

खेली जिनके संग बरसों होली।


सखियों की वह हंसी ठिठोली

गलवहियों की माला।

होली पर फिर याद आ गई

जो रंग प्यार का था डाला।


दूर देश सब बस गई है

अपने पिया के गांव।

याद बहुत आते हैं पर

गुजरे हुए पल छांव।


ऐसे सपने तुम रोज ही आना

सपने में तुम सखियों से मिलवाना।

खेलेंगे हम सब मिलकर होली

लौट आएगा वह गुजरा जमाना।


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