गुजर गया आज
गुजर गया आज
उम्रभर का वादा करके मुकर गया वो आज,
अभी मेरे सामने से गुजर गया वो आज...
जरूर फंस गया होगा मजबूरियों के चक्रव्यू में,
मेरा दिल तोड़ के खुद बिखर गया वो आज....
जानता हूँ उसे कुछ कहेगा नही, बूरा बना रहेगा,
समझता हूँ मैं किस गम को लेके घर गया वो आज...
दिखाना तो चाहरहा था कोई फर्क न पड़ा उसे,
किंतु वो उससे ज्यादा दर्द में था, जो मुझे देकर गया वो
आज...
रूह थर्रा गई थी मेरी भी पर छूपकर वो भी रोया था,
मैं उसे दोष क्या देता मुझसे ज्यादा तकलीफ़ सहकर
गया वो आज...
पत्थर दिल बनने की कोशिश उसकी भी नाकाम रही,
आखिर में मुझी से लिपट के खूब रोकर गया वो
आज...
