एक रात ,...
एक रात ,...
एक रात खामोशी से सोए तू मुझ में,
एक रात बेचैनियों सा जागूं मैं,
एक जख्म पर मलहम तुम बनो,
एक जख्म नया फिर कुरेद जाऊं मैं,
ये कहानियां कुछ इस क़दर आगे बढ़े,
तेरे छोड़ जाने पर भी मुस्कुराऊ मैं,
मैं याद करूं तुझको हर पल,
तू तनिक सा सोंच मुझको... घबराएं,
मैं ख़्वाब सजाऊं रोज़ नए,
तू सपनों में भी इठलाये,
एक डोर रोज तोड़ू मैं दिल से,
ये गांठ नए बनाएं फिर से ।

