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seshabanta Bishi

Classics Fantasy

4  

seshabanta Bishi

Classics Fantasy

सुनो प्रिये

सुनो प्रिये

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सुनो प्रिय !

कुछ पल की दूरी थोड़ा सा इंतज़ार

फिर से होगा हमारा साथ,

कलकत्ता की सड़कें बारिश की बौछार

तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ,

वो मिट्टी की सौंदी खुशबू,


वो पेड़ों का हरापन,

वो बादलों की घनघोर घटा,

वो बातों का सिलसिला चटपटा,

भीग लूँगी मैं बारिश की बूंदों में

कुछ तेरे प्यार में,


लगा लेना सीने से अपने

मुझे कड़कने पर बिजली के,

बिजली की कड़कड़ाहट भी

मधुर संगीत सी बजेगी,


जो होगा मेरे साथ तेरा साथ न कोई

भय होगा न होगा कोई विलाप

जब होगा हाथों में तेरा हाथ,

खेलूँगी मैं बारिश के पानी से

कुछ तुम पर डालूँगी भर अंजुलि में।


मुस्कुरा कर तुम मुझे अपने बाँहों में

भर लेना गालों को चूम मेरे प्यार जता देना,

गर तेरे मेरे प्यार के बीच आ जाएँ मेरी भीगी जुल्फ़ें

कायदे से उसे तुम कानो के पीछे दबाना,


कुछ चढ़ी सांसों से खुद के

कुछ यूं मेरे चेहरे को सहलाना।

थाम कर हाथ एक दूसरे का फिर कलकत्ता

कुछ तुम गुनगुनाना कुछ मैं गाऊँगी

बीते दिनों के सारे किस्से पूछूंगी,


सारे दर्द सहलाऊंगी।

फिर नई शुरुआत करूँगी

फिर नए सपने सजाऊंगी

कभी तेरी मीरा कभी तेरी राधा

चाहे तेरी गोपी बस तेरी कहलाऊंगी।


रख काँधे पर सर तेरे फिर

तेरे प्यार में खो जाऊँगी,

थाम के हाथ तेरा मैं तेरी हो जाऊंगी,

मैं बस तेरी हो जाऊंगी।


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