STORYMIRROR

Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

3  

Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

गर्मियाँ विशेष

गर्मियाँ विशेष

1 min
246

इस बार गर्मी का मौसम

थोड़ी खुशी थोड़ा सा गम

खुशी मिली अवकाशों की

गम कोरोना से मिला मगर

हर कोई कैद हुए घरों में


खेल कुद सब हुए बंद

बच्चों का उत्साह खत्म

कोरोना से खाली उपवन

जहाँ खेलते थे पहले बच्चे

सूना पड़ा है वो आंगन


यहाँ वहाँ जहाँ भी देखो

फैला हुआ अनचाहा ड़र

मन व्यथित है सबका लेकिन

द्रवित मन आतंकित है

गर्मी के मौसम की खुशियाँ


सब कोरोना से संक्रमित है

बालमन हुआ है व्यथित

हालात कर रहे हैं भयभीत

यही है गर्मी की हालत

जो दिखाई दे रही है नियमित।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy