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गरीब की बेटी

गरीब की बेटी

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एक गरीब की लक्ष्मी बेटी

उसे ओर कंगाल बना जाती है।

जब अपनी शादी करके वह

अपनी ससुराल को जाती है।


बच्ची पैदा होने पर ही

लग जाता है पाई-पाई जोड़ने

मेहनत मजदूरी में तन को झोंकता

विवाह लायक धन भी न जुड़ पाता

ओर न जाने कब उसकी बेटी

शादी के लायक हो जाती है।


एक गरीब की लक्ष्मी बेटी

उसे ओर कंगाल बना जाती है।

पाई-पाई जोड़ जो इकट्ठा किया

कम वह धन पड़ जाता हैं

बाप रोता है एक कोने में

कहीं भैया नीर बहाता है।


पर पत्थर दिल लड़के पर

शादी की बात न जंच पाती है।

एक गरीब की लक्ष्मी बेटी

उसे ओर कंगाल बना जाती है।


हाथ जोडे़ या पांव जोड़े

जैसे तैसे जो शादी हो गई

धन के भक्षी लोभी भेडि़ये से

तंग आकर वह जल मरी

श्मशान पहुंचने से पहले ही

चिता बन घर में जल जाती है।


एक गरीब की लक्ष्मी बेटी

उसे ओर कंगाल बना जाती है।



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