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Bindiyarani Thakur

Abstract

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Bindiyarani Thakur

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गृहिणी को सम्मान मिले

गृहिणी को सम्मान मिले

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एक गृहिणी की क्या पहचान होती है

सारा घर है उसका कार्यक्षेत्र


पूरे घर की वह शान होती है

हरेक की पसंद नापसंद का ख्याल वो रखती है


सुबह से आधी रात तक खटती है

चाहे कोई भी मौसम हो

या फिर तबीयत नरम हो

जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटती है


कभी कभी आईना देखना तक भूल जाती है

ताउम्र बस फर्ज़ ही निभाती है


और बदले में कुछ भी नहीं चाहती है

मिले हर गृहिणी को प्रेम व सम्मान

इतना हक तो है उसका श्रीमान।


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