गृह कुल।
गृह कुल।
कहां ढूंढ रहे हो गुरूकुल को, गृह कुल का निर्माण करो,
पिता को मानो दशरथ जैसा, माता को कौशल्या जैसा
तब घर में ही श्री राम होंगे, उनका ही सत्कार करो
पेड़ लगा ना सीचा तुमने, देखभाल तुमको है करना
चाह हो अगर मीठे फल की ,परिश्रम का निर्माण करो
गृह कुल में रहना है तो ,सहन तुम्हें कुछ करना होगा
"परिवार" में सुख लाने के खातिर, थोड़ा तुम बलिदान करो
तुमसे कुछ बन सके तो, परहित में ही हाथ बटाओ
सुकून मिलेगा दिल को इतना ,मेरा तुम विश्वास करो
कभी न दुखाना दिल किसी का, सबसे बड़ी अहिंसा है
घर में प्रेम का रस बिखराना, ऐसा कुछ तुम उपाय करो
समझ ना सको तुम "ज्ञान मार्ग" को ,"प्रेम मार्ग" को अपनाओ
मन के सारे मैल धुलेंगे,सरल अपना स्वभाव करो
निंदा ना भूलकर कर भी किसी की करना, सबको अपने गले लगाना
सबके प्रिय तुम बन जाओगे, निंदक से भी प्रेम करो
ऊपर लिखी सब बातों को, जीवन में जब ले आओगे
गृह कुल ही गुरुकुल होगा," नीरज" को भी पार करो
