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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

गोलार्द्ध की मियाद !

गोलार्द्ध की मियाद !

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ये लम्बी रातें

और इनमें होती 

वो बेशुमार बातें,

और दोनों को तकते 

वो जलते अलाव आज 

तुम्हें बुला रहे हैं

तुम चली आओ ना,

कि तुम बिन ये 

सलवटें तड़प रही हैं,

और तकिये के लिहाफ 

सांसें लौटा रहे हैं,

और इत्र की खुश्बू

मचल रही है उस पर 

वो ऑलिव आयल 

बिफर रहा है तुम,

आकर पोरों में सुलह 

करा दो ना और 

गोलार्द्ध की मियाद 

बता दो ना !



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