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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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गोधूली बेला

गोधूली बेला

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जब सूरज होने लगे अस्त

सब हो जाते हैं पस्त 

गाएं लौटती थी अपने घर

उड़ाते हुए धूल वही कहलाता

था गोधूली बेला,

जीवन में भी बड़ा महत्व 

है इस गोधूली बेला का

कहते हैं इस समय सोने से

मनुष्य हो जाता है गरीब 

साधारण सी बात हैं

जो बिना काम का होगा 

वही इस समय सोता होगा, 

इसी समय लौटते सभी 

पशु ,पक्षी अपने अपने घर,

पूरे दिन के बाद सभी मिलते 

अपनो से उनके चेहरे खिलते हैं

जीवन के हर मोड़ पर भी

आता है गोधूली बेला 

हर किसी को लौटना पड़ता

अपने असली बसेरा



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