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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Abstract

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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गमगीन

गमगीन

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इतने गमगीन हो 

कोई बात तो है !


तुम तो बेहतरीन हो 

उतने ही शालीन हो 

कभी दुख नहीं दिखाते 

प्यार को भी नहीं छिपाते 

क्या गुजरा है तुमपे 

सोचने की बात तो है !


कोई साथ नहीं देता 

अपना हाथ नहीं देता 

मिटा दिया, जिनको सजाने मे 

लूटा दिया , जिनपे खजाने से 

गुजरती है ज़िसपे वही जानता है 

हाँ, मगर सोचने की बात तो है ।


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