गलत नहीं होता
गलत नहीं होता
इंसान कभी गलत नहीं होता,
मजबूर होते हैं उसके हालात।
गलत सही का संज्ञान नहीं ले पाता,
इंसान कभी गलत नहीं होता।
दुनियादारी के इस चक्कर में,
कभी दो जून की रोटी के लिए,
पल पल वह मुश्किल झेलता।
इंसान कभी गलत नहीं होता।
अभावों में जब है बसर होता,
संगत का भी तब असर होता।
पकड़ लेते राह कोई तभी ग़लत,
इंसान कभी गलत नहीं होता।
एक ही कोख से जन्म लेता,
पर भाग्य न एक जैसा होता।
पूर्व जन्म का लेखा जोखा होता।
इंसान कभी गलत नहीं होता।
एक ही परिवेश में रहते हैं लोग,
आचरण का भी तब होता है योग।
लग जाता किसी को भ्रष्टाचार का रोग!
इंसान कभी गलत नहीं होता।