गजल
गजल
दुनियावी चालो तरकीबों को समझना सीख
वरना कदम कदम पर तुझे बस मात मिलेगी।
वो दिखाता कुछ है और करता कुछ और ही
पहचान संभल जा वरना सिर्फ घात मिलेगी।
दिन भर जब तू बहायेगा पसीना मेहनत का
तब कहीं जा के तुझे सुकून भरी रात मिलेगी।
वो दौर और था जिसे पीछे छोड़ कर आये हो
अब तुम्हें कहा वो पहले वाली बात मिलेगी।
अगर उगाते रहे हम यूँ ही बारूद की फसलें
देखना न बंदा मिलेगा न बंदे की जात मिलेगी।
देखना वो आएगी थपथपायेगी सुला देगी हमें
आखिर में सभी को वो शरीके हयात मिलेगी।
सँवार सकते नहीं तो मिटाने पर क्यों तुले हो
फिर कहा पे ऐसी दिलकश कायनात मिलेगी।